सच्ची आवश्यकता
सच्ची आवश्यकता (प्रेरक प्रसंग)
प्रसिद्ध साहित्यकार बालकृष्ण शर्मा "नवीन" का जीवन शुरू से आखिर तक बहुत ही अभाव में व्यतीत हुआ | परंतु वे सदा ही दिल के शहंशाह बने रहे | सहृदयता के मामले में भी वे समुद्र के समान विशाल हृदय वाले थे |उनके चरित्र का एक विशेष गुण फक्कड़पना मस्ती भी थी |
जब क्षात्र ने पैसे मांगे :
एक बार एक छात्र ने उनके पास आकर परीक्षा शुल्क के लिए कुछ धन की मांग की नवीन जी के पास उस समय देने को कुछ भी नहीं था | परंतु छात्र की सहायता वह ना करें ! यह तो हो ही नहीं सकता था ! "आखिर उन्होंने पास बैठे अपने एक दोस्त से पैसे लेकर उस छात्र को दे दिए |" जब छात्र पैसे लेकर चला गया तो उनके दोस्त ने कहा आपने बिना पूछ-ताछ किए ही पैसे दे दिये | हो सकता है कि वह किसी बहाने से पैसे ले गया हो ? इस पर नवीन जी ने शांत भाव से उत्तर दिया | मित्र हो सकता है ! वह छात्र बहाना बनाकर ही पैसे ले गया हो | परंतु उसकी आवश्यकता तो सच्ची ही रही होगी |
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