मृत्यु के भय का भाव मनुष्य की ऊर्जा के क्षरण का कारण


मृत्यु के भय का भाव मनुष्य की ऊर्जा के क्षरण का कारण 

जब आपके सामने आपकी किसी भी शारीरिक या मानसिक बीमारी से छुटकारा पाने का कोई विकल्प न नजर आ रहा हो तो मेरी सलाह है आपको योग की शरण में जाना चाहिए यकीन मानिए आपकी हर समस्या का समाधान है योग, योग का कोई विकल्प नही है योग तो बस योग है शारीर मन और आत्मा का मिलन , आध्यात्म की पराकाष्ठा, यथार्थ का अनुभव और स्व के अर्थ की संचेतना |

मृत्यु के भय का भाव मनुष्य की ऊर्जा के क्षरण का कारण है वह अपनेआप से अपने आपको मारता है वह भी अपने नाकारात्मक विचारों के द्वारा हमारी शक्ति अतुलनीय है, हम श्रृष्टि के केंद्र और सम्पूर्ण सत्ता के स्वामी हैं अद्भुत है यह मानव जीवन, इसकी पराकाष्ठा आकाश के पार और पाताल के भी आगे की है | जीव अर्थात हमारी आत्मा उस परमात्मा का ही अखंडित स्वरुप है जिसे देखा तो नहीं जा सकता परन्तु महसूस जरुर किया जा सकता है उसी का विस्तार है यह सम्पूर्ण श्रृष्टि कण-कण में तिनके-तिनके में इसी आत्मा अर्थात उसी परमात्मा का विस्तार है इस श्रृष्टि में एक तिनका भी उसके बिना अधूरा है उसकी ब्यापकता की पराकाष्ठा बाहरी आँखों से दिखाई देने वाली दुनिया को देखकर आँका जा सकता है परन्तु इस श्रृष्टि का असल स्वरुप देखने के लिए आंतरिक भावों तथा बंद आँखों के द्वारा ही संभव है |

यह विराट संसार आपकी आत्मा के विस्तार का बाहरी दिखावटी स्ररुप दुनिया से बहुत आगे हजारों, करोड़ों और अरबों तथा खरबों गुना आगे हर एक तथ्य का सत्य उजागर हो उठता है, कोई सवाल ऐसा नहीं जिसका जवाब नहीं मिलता है और यही से सफ़र शरू होता है आपके मोक्ष का, मुक्ति का साक्षात्, आत्म तत्व का परमात्म में विलीनता का |

योग आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का साधन है उसकी क्रियाएं और प्रक्रियायें विभिन्न योग शाश्त्रों के अनुरूप अलग-अलग हैं किन्तु सभी का अंतिम पडाव एक ही है और हर क्रिया या प्रक्रिया का परम लक्ष्य स्व अर्थातअपने शारीर के साथ ही अपनी आत्मा के शुद्धता एवं स्वछता की हर मोड़ पर विभिन्न बिकल्पों के द्वारा अपने आपको पवित्र करने की प्रक्रिया है योग |

हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य योग के पता पर चलते ही कुछ ही समय में स्वतः ही सुधार की दशा में आता है और हम अपनी हर बीमारी के दूर स्वास्थ्य की और चल पड़ते हैं चूँकि योग निरंतर करते रहने की प्रक्रिया यह एक दिन का प्रयास नही कहा जा सकता लगातार एक के बाद दुसरे जन्म में भी योग की यात्रा अपने प्रारब्ध के अनुसार ही निर्धारित होती है, इस प्रकार कई जन्मों तक लगातार अपनी योग यात्रा से योग में सिद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है और व्यक्ति जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है, ऐसा योग शास्त्रों में भी कहा गया है |

आप सभी सुधि पाठकों से मेरा विनम्र आग्रह यही है कि आप सभी योग के मार्ग को अपनावें , अपने स्वास्थय के लिए, अपनी आत्मा के लिए, अपने मोक्ष के लिए, अपने जीवन के लिए, अपनी उन्नति के लिए |

करन बहादुर (योगिराज- करनदेव)

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