योग और प्राणायाम तथा डिटोक्सिफिकेशन के द्वारा अनियमित रक्तचाप कि समस्या से पायें छुटकारा
योग और प्राणायाम तथा डिटॉक्सिफिकेशन के द्वारा अनियमित रक्तचाप की समस्या से पायें छुटकारा
By yoga and pranayama and detoxification Irregular blood pressure Get rid of the problem
उच्च रक्तचाप का एकमात्र कारण हमारा अनियमित जीवन और हमारे खाने−पीने की आदतों में असावधानी है। खान−पान में संयम न बरतने से कोलेस्ट्रोल (एक प्रकार की वसा) धमनियों की भित्ति पर चिपक जाती है।
कभी ऐसा माना जाता था कि उच्च रक्तचाप केवल बुढ़ापे की बीमारी है, परंतु अब स्थिति तेजी से बदल रही है। 30 साल का युवक भी आज यह कहता सुनाई दे सकता है कि उसे ब्लड प्रेशर है यानी उसका रक्तचाप सामान्य से अधिक है।
शारीरिक क्रिया के दौरान अशुद्ध खून पहले दिल के एक भाग से फेफड़ों में प्रवेश करता हैं, फिर वहां से शुद्ध होकर दिल में वापस आ जाता है। फिर दिल का दूसरा भाग खून को पंप करके उसे शरीर के बाकी हिस्सों में भेजता है। दिल जब खून को पंप करता है तो यह क्रिया एक उचित दबाव के साथ की जाती है। जिससे कि आखिरी छोर पर पहुंचने के बाद भी खून में इतना दाब बना रहा सके कि वह फिर से दिल तक लौट कर आ सके। इस पूरी प्रक्रिया में धमनियों की भित्ति पर जा दाब स्थापित होता है वही रक्तचाप है।
साधारण तौर पर यह दाब 120 होता है जिसे ऊपरी दाब या सिस्टोलिक कहते हैं। दो बार पंपिग करने के बीच में जो समय होता है उतने समय में दिल आराम कर लेता है यह समय करीब आधा सेकंड का होता हैं, इसी दौरान धमनियों पर दाब काफी घट जाता है और लगभग 90 हो जाता हैं, इसे निचला दाब या डायस्टोलिक कहते हैं। यही स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके बढ़ने का मतलब यह होता है कि दिल पर बोझ पड़ रहा है।
जब तक धमनियां एकदम चिकनी और खुली रहती हैं तब तक खून एक निश्चित और स्थिर दबाव से बहता रहता है। जब तक शरीर की धमनियां व खून की नलिकाएं अपने स्वाभाविक रूप में रहती हैं यानी जब तक ये लचीली रहती हैं, इनके छेद खुले रहते हैं तब तक खून को आगे बढ़ाने के लिए दिल को जरूरत से ज्यादा दबाव डालने की जरूरत नहीं पड़ती और रक्त अपनी स्वाभाविक गति में हृदय से निकलकर धमनियों और खून की नलिकाओं की ओर से शरीर के हर भाग में पहुंचता रहता है। लेकिन जब धमनियां कठोर और संकरी हो जाती हैं तो खून को शरीर के बाकी हिस्सों में पहुंचाने के लिए दिल को जरूरत से ज्यादा दबाव डालकर उन संकरी और कठोर धमनियों में खून को धकेलना पड़ता है।
साधारण तौर पर उच्च रक्तचाप का कोई लक्षण नहीं होता और व्यक्ति को काफी समय तक इसका पता ही नहीं चलता है, लेकिन बाद में अनेक लक्षण सामने आने लगते हैं जैसे सिर दर्द, चक्कर आना, शिथिलता, सांस में परेशानी, नींद न आना, जरा सी मेहनत करने पर सांस फूलना, नाक से खून निकलना आदि।
उच्च रक्तचाप का एकमात्र कारण हमारा अनियमित जीवन और हमारे खाने−पीने की आदतों में असावधानी है। खान−पान में संयम न बरतने से कोलेस्ट्रोल (एक प्रकार की वसा) धमनियों की भित्ति पर चिपक जाती है जिससे धमनियां संकरी होने लगती हैं। नतीजतन दिल का खून को पंप करने का बोझ बढ़ जाता है।
अनियमित जीवन शैली उच्च रक्तचाप का कारण
अनियमित जीवन तथा खानपान के साथ−साथ और भी कई कारण उच्च रक्तचाप के लिए उत्तरदायी हैं। चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, भय आदि मानसिक विकार भी उच्च रक्तचाप का कारण होते हैं। बार−बार या जरूरत से अधिक खाना भी उच्च रक्तचाप का कारण हो सकता है। मैदा से बने खाने के पदार्थ, चीनी, मसाले, तेल, घी, आचार, मिठाईयां, मांस, चाय, सिगरेट व शराब आदि का सेवन करने से भी उच्च रक्तचाप की शिकायत हो सकती है। नियमित खाने में रेशे, कच्चे फल, सलाद का अभाव, श्रमहीन जीवन, व्यायाम का अभाव, पेट और पेशाब संबंधी पुरानी बीमारी से भी उच्च रक्तचाप का रोग हमें अपनी गिरफ्त में ले सकता है।
निम्न कुछ बदलाव दे सकते हैं पूरा लाभ : सामान्य होगा बढ़ा रक्तचाप
आजकल हम लोग जो भोजन करते हैं वह हमारी सेहत के लिए कतई ठीक नहीं है। बारीक पिसे आटे की रोटियां, पालिश किया हुआ चावल, घी, तेल, मसालेयुक्त सब्जियां, चाय, कॉफी, शीतल पेय, केक, बिस्किट ब्रेड, बरगर, पिज्जा जैसे भोजन आज हमारी आधुनिक जीवन शैली में शामिल हैं। लेकिन यही उच्च रक्तचाप और उससे संबंधित कई बीमारियों की जड़ है। यदि चोकर युक्त मोटे आटे की रोटी, छिलके समेत फल और सब्जियां, पालक, मेथी, बथवा, तुरई, लौकी, पैठा, नींबू आदि को हम अपने रोजाना के भोजन में शामिल कर लें तो हम उच्च रक्तचाप के साथ−साथ अन्य बीमारियों से भी मुक्त रह सकते हैं।
दिनचर्या में बदलाव देगा बेहतर परिणाम
खाने−पीने की अच्छी आदतों के साथ−साथ यदि हम अपनी रोजाना की दिनचर्या पर भी ध्यान दें जैसे रात में जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना, सुबह के समय बिना कुल्ला किए एक लीटर तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना, पूरी तरह भूख लगने पर ही खाना, भूख से थोड़ा कम खाना, खाना खाते समय पानी न पीना व दो घंटे के बाद दो गिलास पानी पीना, खाने को अच्छी तरह से चबा कर खाना, दिन में न सोना, शांत−सहज और खुश रहना, रोजाना नियमित रूप से व्यायाम करना, टहलना, दौड़ना आदि में से सारे नहीं तो कुछ को अपने व्यवहार में लाकर भी उच्च रक्तचाप की परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं।
उच्च रक्तचाप को अधिक समय तक नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे धमनियों में जमें कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है, जिससे धमनियां सख्त हो जाती हैं और उनमें रुकावट आ जाती है। इस स्थिति को एथिरोस्किलरेसिस कहते हैं। इस स्थिति में दिल पर खून पंप करने में ज्यादा जोर पड़ता है और वह कमजोर हो जाता है।
रक्तचाप की गड़बड़ी से हो सकता है हार्ट अटैक
अगर एथिरोस्किलरोसिस दिल को खून सप्लाई करने वाली वाहिनियों में हो जाए तो दिल के उस हिस्से की जिसे वह वाहिनी रक्त की सप्लाई करती हैं, पेशियां मृत हो जाती हैं। इससे पंपिंग की व्यवस्था में गड़बड़ हो जाती है यानी हार्ट अटैक हो जाता है।
जब किसी धमनी में मामूली सी रुकावट हो और जरूरत पड़ने पर उससे अधिक खून पंप करना हो तो मुश्किल हो जाती है। जिस प्रकार श्रम या व्यायाम के समय हृदय पेशियों को ज्यादा खून की सप्लाई की जरूरत होती है जिसके न हो पाने पर सीने में तेज दर्द महसूस होता है। इसे एंजाइना कहा जाता है। यह ज्यादा श्रम या तनाव के कारण होता है। इसे खत्म होने में कुछ मिनटों का समय लगता है और आराम करने पर यह ठीक हो जाता है।
योग और प्राणायाम तथा डिटोक्सिफिकेशन के द्वारा अनियमित रक्तचाप को सौ प्रतिशत तक नियमित किया जा सकता है
उच्च रक्तचाप के लक्षण सामने आते ही उससे ठीक होने के उपाय करने चाहिए | आज के समय में जहां एलोपैथी का बोलबाला है वही आपने डाक्क्टर्स को यह कहते भी सुना होगा कि योग और मॉर्निंग वाक भी करिए जी है यह ही एकदम सही विकल्प है | हम आपको बता देते हैं कि योग और प्राणायाम तथा डिटोक्सिफिकेशन के द्वारा अनियमित रक्तचाप को सौ प्रतिशत तक नियमित किया जा सकता है, रक्तचाप चाहे उच्च हो या निम्न जैसा आपने ऊपर लेख में पढ़ा है कि कोलेस्ट्राल बिगड़ने से इस समस्या कि शुरुआत हो जाती है तो ध्यान रखें जितना जल्दी हो सके हमारा यह योग और प्राणायाम तथा डिटोक्सिफिकेशन प्रोग्राम ज्वाइन करें और अपनी समस्या से मुक्ति पाएँ |
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दिव्यदर्शन योग सेवा संस्थान (रजि.)
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