गणेश का वास्तविक स्वरुप

गणेश  का वास्तविक स्वरुप


  • "चोरों ने गणपति को भी नहीं छोडा-एक खबर" यहां विचारणीय प्रश्न यही है कि जो भगवान् अपनी रक्षा करने में असमर्थ है वह हमारी रक्षा किस प्रकार कर सकता है?
  • गणेश जैसे महापुरुष का यह कितना बडा अपमान है कि जो पुराण के मानने वालों ने उनके मानव शरीर पर हाथी के सूंड लगा मुंह बैठा दिया । एक अत्यन्त सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी यह विचार कर सकता है कि संसार के नियमों के अनुसार यह असम्भव है कि कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसका धड मानव हो ।

वास्तविकता क्या ?

गणेश जी के विषय में वास्तविक इतिहास यही है वे महान् योगी शिव-पार्वती के पुत्र, धर्मात्मा व महान्विद्वान् थे । उनकी नाक सामान्य पुरुषों की तुलना कुछ लम्बी रही जैसी कि आज के समय में भी कुछ लोगों की नाक सामान्य से कुछ लम्बी हो जाती है जिसके कारण साहित्य में साहित्य की आलंकारिक भाषा में कवि बुद्धि वाले लेखकों ने उसकी तुलना सूंड से कर दी हो परन्तु सब कुछ अभिधा(साहित्य की वह शैली जिसमें किसी भी शब्द के सीधे प्रकट होने वाले अर्थ को ही ग्रहण किया जाता है आलंकारिक अर्थ को नहीं) में ही सब कुछ समझने वाले मूढ बुद्धि लोगों ने मानव के शरीर पर हाथी की सूंड ही जोड दी व अन्धभक्तों ने बिना विचार किए गणेश जी को उसी रुप में स्वीकार कर लिया परन्तु वास्तविक इतिहास पढने पर यही पता चलता है कि वे महान् योगी शिव-पार्वती के पुत्र, धर्मात्मा व महान् विद्वान् पुरुष हुए है। इतिहासोक्त महापुरुष गणेश जी को इसी प्रकार के उनके वास्तविक स्वरुप में समझना भी चाहिए।

क्या गणेश ही ईश्वर हैं ?

ईश्वर व गणेश दोनों अलग-अलग हैं। इतिहास में वर्णित महापुरुष गणेश तो जन्म भी लेते हैं व मृत्यु को भी प्राप्त होते हैं परन्तु ईश्वर कभी जन्म-मरण को प्राप्त नहीं होता वह सब कालों सब समयों में एक सा बना रहता है छोटा-बडा या घटता-बढता नहीं है इस कारण महापुरुष गणेश ईश्वर नहीं हो सकते क्योंकि उनमें तो यह सब होता हुआ दिखाई पडता है।

ईश्वर की गणेश संज्ञा

सर्वव्यापक,सर्वनियन्ता ईश्वर का "गणेश" नाम इसलिए है कि वह गणों अर्थात् समूहों का ईश अर्थात् स्वामी है। इस संसार में आखों से दिखाई पडने वाले और न पडने वाले जड-चेतन पदार्थों व प्राणियों के समूहों का एकमात्र स्वामी वही ईश्वर है अन्य कोई नहीं । 

इस विषय में अधिक जानकारी के लिए महर्षि दयानन्द सरस्वती रचित "सत्यार्थप्रकाश" पढें व रुढियों,ढोंग,अन्ध-परम्पराओं व अन्धविश्वास से मुक्ति पा वास्तविक सत्य-सनातन-वैचारिक धर्म को जानकर अपने जीवन को सफल बनाएं।

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