आयुर्वेद का अमृत : हरीतकी बेमिसाल गुणों से भरपूर



हर्र के नाम से सभी परिचित हैं| इसे हरड़ भी कहते हैं| इसमें इतने गुण हैं कि हमारे पूर्वजों और वैद्यों ने इसके अनेक नाम रख दिए हैं, देखिये इसे किन - किन नामों से जाना जाता है | बिभिन्न नाम जैसे – विजया, रोहिणी, जीवन्ती, कल्याणी, पूतना, हरीतिकी आदि|

यह रोगों को हर लेती है, इसलिए यह हरड़ या हरीतिकी कहा जाता है | हर उम्र के सभी व्यक्तियों के लिए यह  कल्याणकाती है, इसलिए इसे जीवन्ती कहा जाता है | यह हर्र जितनी नई होती है, उतनी ही अधिक गुणकारी होती है | इसका प्रयोग त्रिफला (हर्र, बहेड़ा, आंवला) के साथ भी किया जाता है| यह पहाड़ों पर बड़ी मात्रा में पाई जाती है|

हर्र कई प्रकार की होती है – पूतना हर्र, अमला हर्र, चेतकी हर्र, रोहिणी हर्र, अमृता हर्र आदि| यह पेट के रोगों के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है| यद्यपि यह स्वाद में कसैली होती है किन्तु गुणों की खान है| यह बल, बुद्धि, प्रकार देने वाली, संग्रहणी रोग को नष्ट करने वाली, पेट में समस्त रोगों को हरण करने वाली, वात, कफ, पित्त नाशक और रसायनी कही गई है| विभिन्न रोगों में इसके औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं –

हर्र के 9 औषधीय गुण इस प्रकार हैं

कब्ज मे रामबाण 

कब्ज तोड़ने के लिए हर्र का उपयोग घर-घर में किया जाता है| हर्र को पीसकर चूर्ण बना लीजिए | रात को दो चुटकी चूर्ण में जरा-सी हींग तथा एक चुटकी काला नमक मिलाकर प्रयोग कीजिए | सुबह शौच साफ आएगा | लगातार कुछ दिनों तक लेते रहने से कब्ज की बीमारी ठीक हो जाती है |

वायु विकार शामक 

मंदाग्नि के कारण पेट में वायु विकार उत्पन्न होता है| दो दाने हर्र लेकर तवे पर घी में भून लें | फिर उनको पीस डालें | इस चूर्ण को शहद या ताजे पानी के साथ सोने से पूर्व सेवन करें | दो-तीन दिनों तक नियमित रूप से इसका सेवन करने पर पेट की वायु शान्त हो जाएगी | इसीलिए हरीतकी को वातानुलोमक या वायु शामक कहा जाता है |

शीतपित्त गुण वाली 

दो हर्र का चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें | यह शरीर के ददोरों, पित्त तथा खुजली को दूर करेगी तथा यह शरीर की गर्मी को शांत करती है इसीलिए हरीतकी को शीतपित्त गुणवाली या शीतवीर्य गुणवाली माना जाता है |

मन्दाग्नि का महत्वपूर्ण इलाज 

मंदाग्नि का महत्वपूर्ण इलाज है हरीतकी (हर्रे) दो चुटकी हर्र का चूर्ण सेंधा नमक के साथ लेने से पेट की अग्नि प्रदीप्त होगी| यह पाचन क्रिया सुधार कर भोजन में रुचि उत्पन्न करेगी |

उलटी मे लाभकारी 

एक हर्र का चूर्ण शहद के साथ चाटें | उल्टियां बंद हो जाएंगी | तथा शरीर को शुकून (शांति) महसूस होगी |

पीलिया नाशक 

4-6 ग्राम हर्र का चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करने पर पीलिया रोग नष्ट हो जाता है | इसके उपयोग के बाद गन्ने का रस भी पीना चाहिए|

खांसी का काल 

हर्र, कालीमिर्च, पीपल और मुलहठी – सभी बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें | 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें | इससे खांसी में काफी लाभ होता है |

आंखों की सूजन मे उपयोगी 

हर्र को पानी में घिसकर पलकों पर लेप करने से आंखों की सूजन जाती ठीक होती है|

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