पेट की गैस हो जायेगी छूमंतर और मिल जाएगा कई बीमारियों से छुटकारा
गैस गैस गैस, आखिर क्यों बनती है पेट में गैस ?
गैस बनने से शरीर को क्या हो सकता है नुक्सान ?
शरीर में किन-किन बीमारियों का कारण है गैस ?
पेट में गैस न बने इसके लिए क्या-क्या करना चाहिए ?
गैस गैस गैस, आखिर क्यों बनती है पेट में गैस ?
पेट की गैस से आज समाज का लगभग हर व्यक्ति परेशान है | क्या आप जानते हैं कि हमारे पेट में गैस बनने के क्या - क्या कारण हैं और भविष्य में यह शरीर की किन - किन बीमारियों का कारण हो सकता है ? यह समस्या जितनी ही पुरानी हो ठीक होने में उतना ही अधिक समय लग सकता है | हलांकि हम आपको बताना चाहते हैं कि गैस बनने का सबसे पहला और मुख्य कारण है-
समय पर मल त्याग न करना |
दूसरा कारण दिनचर्या का नियमित और संयमित न होना |
असंयमित अपथ्याहार |
देर रात तक जागना |
सुबह देर तक सोते रहना |
पेय पदार्थों को कम मात्रा में ग्रहण करना |
परिश्रम में कमी |
योग, प्राणायाम एवं सुबह तथा शाम की सैर न करना |
समय पर मल त्याग न करना
समय पर मल का परित्याग न करना गैस बनने का बहुत बड़ा कारण है | हम सभी आदतन या आलसवश सुबह शौच जाने में टालमटोली करते रहते है और धीरे - धीरे यही आदत बन जाती है और धीरे - धीरे आपकी दिनचर्या भंग हो जाती है और आपका मल आपके शरीर में ही कुपित हो जाता है | कई बार पखाने जाने पर भी आपका पेट साफ़ नहीं होता नतीजतन कुछ न कुछ मॉल का शेष भाग आपके शरीर में जमा रह जाता है और वही आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव डालते हुए दूषित वायु का निर्माण करने लगता है जिससे आपका शरीर प्रभावित हो जाता है | परिणाम स्वरूप शरीर में भारीपन , सिर में दर्द , कब्ज की शिकायतै तथा चेहरे की कांति क्षीण होने लगती है |
दिनचर्या का नियमित और संयमित न होना
नियमित और संयमित दिनचर्या स्वस्थ जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है | जैस कि जानते है हमारे शास्त्रों में भी ब्रम्भ मुहूर्त में जागना बहुत ही गुणकारी बताया गया है तथा इसके बिलकुल विपरीत ब्रम्भ मुहूर्त में भी सोते रहने से पुण्यों का नाश होता है तथा वह मानव जीवन के लिए विष के सामान है देखें-
ब्राह्मे मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी।
(ब्राह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्यों का नाश करने वाली है।)
ब्रम्भ मुहूर्त में न उठने के बाद तो पूरे दिन की कार्यशैली ही बदल सी जाती है फिर न तो समय पर सुबह का भोजन हो पाता है और न ही स्नान , यह दोनों ही शरीरिक स्वास्थय और ऊर्जा की दृष्टि से बहुत ही महत्व पूर्ण है | समय पर स्नान न करने शरीर की प्राकृतिक संचालन प्रक्रिया पर बिलकुल प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | हमारे शास्त्रों में सूर्योदय के बाद तथा चाय नाश्ता करके किये गये स्नान को " दानव स्नान " कहा गया है | यह स्वस्थ्य और आयुर्विद के अनुसार विनाशकारी कहा गया है |तथा सूर्योदय से पूर्व किये गए स्नान को ब्रम्भ स्नान , देव स्नान , ऋषि स्नान आदि की संज्ञा दी गई है | ठीक इसी तरह सुबह का भोजन सुबह 8 से 9 के बीच में जरूर कर लेना चाहिए वह भी भर पेट "किसी राज कुमार की भांति " सुबह के इसी भोजन से पुरे दिन की ऊर्जा प्राप्त होती है , इसी प्रकार दोपहर का भोजन भी दोपहर एक से दो बजे के बीच अपनी औसत भूख का आधा भोजन के साथ करना चाहिए (नाश्ते की भांति) तथा शाम का भोजन भी सूर्योदय से पूर्व किसी भिखारी की भाँती अल्प भोजन ग्रहण करना चाहिए | सुबह के भोजन में दही , छाछ या लस्सी तथा सोते समय दूध लेने से पाचन क्रिया अच्छी रहती है | इसके विपरीत आहार एवं असमय आहार का आयुर्वेद में निषेध है |
संयमित दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा समय पर सोना भी है | जो व्यक्ति समय पर नहीं सोते उनकी पाचन क्रिया खराब हो जाती है जो सैकड़ों बीमारियों का कारण होती है | आजकल अधिकतर लोगों के सोने का समय ठीक नहीं वे सही समय का ध्यान नहीं रखते लिहाजा बिभिन्न बीमारियों के आगोश में जकड़ते चले जाते हैं |
असंयमित अपथ्याहार
असंयमित अपथ्याहार अपथ्य अर्थात बुरा आहार जो आपके स्वास्थय के प्रतिकूल आहार हो वही अपथ्य आहार कहलाता है | यह अपथ्य आहार भी अगर अलप या निम्न मात्रा में खाया जाय तो नुक्सानदेह नहीं होता परन्तु उसके प्रति आसक्ति और असंयम उसकी निश्चितता को भांग कर देता है और हम जरुरत से अधिक ग्रहण कर लेते हैं एक तो अपथ्य वह भी असंतुलित , असंयमित ऐसे भोज्य हमें पोषण देने के बजाय हमें शोषित और बीमारी देने वाला साबित होता है | इनमें जैसे कि - पिज्जा , चाउमीन , मोमोच , बर्गर , पाश्ता , आइसक्रीम आदि भिन्न प्रकार के खाद्य जो मैदे एवं अरारोट से बने हो वह हर स्थिति में हर व्यक्ति के लिए नुकसानदेह ही हैं |
देर रात तक जागना
आज कल एक नया फैशन बन रहा है देर रात तक जागते रहने का और देर रात भोजन करना भी इसी फैशन का ही हिस्सा है अच्छे स्वास्थय के लिए यह बहुत ही घातक है | देर रात तक जागते रहने से शरीर की चयापचयी क्रियाओं का जो नियमन है वह सही प्रकार से नहीं हो पाता है और परिणाम स्वरुप हमारा शरीर अस्वाभाविक प्रक्रियाओं से ग्रस्त होकर बीमार हो जाता है |
सुबह देर तक सोते रहना
हमारा जीवन इस प्रकृति का ही एक पर्याय है अर्थात इस प्रकृति के समरूप रहकर ही इस जीवन को बेहतर तरीके से जिया जा सकता है | देर तक सोते रहने से आपकी पूरी दिनचर्या ख़राब हो जाती है जैसे कि - समय पर मल का परित्याग न करना | गैस बनने का यह बहुत बड़ा कारण है | हम सभी आदतन या आलसवश देर से सोकर उठते है तथा सुबह शौच जाने में टालमटोली करते रहते है और धीरे - धीरे यही आदत बन जाती है और इस प्रकार धीरे - धीरे आपकी दिनचर्या भंग हो जाती है और आपका मल आपके शरीर में ही कुपित होने लगता है | कई बार पखाने जाने पर भी आपका पेट साफ़ नहीं होता नतीजतन कुछ न कुछ मॉल का शेष भाग आपके शरीर में जमा रह जाता है और वही आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव डालते हुए दूषित वायु का निर्माण करने लगता है जिससे आपका शरीर प्रभावित हो जाता है | परिणाम स्वरूप शरीर में भारीपन , सिर में दर्द , कब्ज की शिकायतै तथा चेहरे की कांटी क्षीण होने लगती हैं तथा अन्य कई प्रकार की बीमारिया आपको जकड लेती हैं |
पेय पदार्थों को कम मात्रा में ग्रहण करना
हमारा शरीर लगभग सत्तर फीसदी पानी से बना है और हम अक्सर पानी पीने में कोताही बरतते हैं साथ ही यह देखा गया है कि भोजन के साथ पेय पदार्थों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है | आवश्यक है कि भोजन के साथ दही , लस्सी , छाछ या फिर दूध या जूस जरूर लेना चाहिए और यह प्रत्येक ग्रास के साथ थोड़ा - थोड़ा पीते रहना चाहिए यह पाचन क्रिया बेहतर बनाता है जिससे पर्याप्त ऊर्जा और स्वास्थय लाभ प्राप्त होता है |
परिश्रम में कमी
हर व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम दो से तीन घंटे भर पूर श्रम जरूर करना चाहिए | बिना श्रम भी स्वास्थ्य की कल्पना करना वैसे ही व्यर्थ है जैसे बिना भोजन जीवन का कोई अर्थ भी संभव नहीं है | श्रम करने से जहां शरीर की क्रिया शीलता बढ़ती है वहीँ शरीर के विषाक्त तत्व भी पसीने एवं गहरी सांसों के माध्यम से बाहर निकलते है तथा शरीर श्रम करने के बाद तरोताजा एवं हल्का महसूस होता है एवं नींद भी अच्छी आती है |
योग, प्राणायाम एवं सुबह तथा शाम की सैर न करना
प्रत्येक व्यक्ति को हरदिन योग , प्राणायाम एवं सुबह की सैर अवश्य ही करना चाहिए इससे शरीर स्वस्थ एवं मन शांत रहता है तथा ख़ुशी एवं प्रसन्नता का भाव रहता है | इसके लिए किसी योग्य शिक्षक या दिव्यदर्शन योग सेवा संस्थान से संपर्क कर सकते हैं |
गैस बनने से शरीर को क्या हो सकता है नुक्सान ?
गैस बनने से शरीर में लगभग हर बिमारी के होने की अपार संभावना बानी रहती है |
पेट में गैस बनने से बाल झड़ने लगते हैं
पेट में गैस बनने से आँखों की रौशनी पर फर्क पड़ता है
पेट में गैस बनने से सिर दर्द या माइग्रेन भी हो सकता है
पेट में गैस बनने से शरीर में खिंचाव या तनाव बना रहता है
पेट में गैस बनने से कब्ज की शिकायत हो जाती है
पेट में गैस बनने से पाचन क्रिया भंग हो जाती है
पेट में गैस बनने से किसनी खराब हो सकती
पेट में गैस बनने से मूत्र में रुकावट आ सकती है
पेट में गैस बनने से पैर के घुटनों में या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द हो सकता है
पेट में गैस बनने से लकवा पड़ सकता है
पेट में गैस बनने से पूरे शरीर की शक्ति क्षीण होने लगती है
आदि बिभिन्न बीमारियों या समस्याओं के होने का खतरा पेट में गैस बनने से हो सकता है |
पेट में गैस न बने इसके लिए क्या-क्या करना चाहिए ?
उपरोक्त लेख में लिखी सभी बातों पर गंभीरता से विचार करते हुए उनको जीवन में उतारना चाहिए तथा दिव्यदर्शन योग सेवा संस्थान से संपर्क कर योग की विशेष पद्धति को सीख कर एवं दिव्यदर्शन वटी का प्रयोग करके जीवन को व्याधि मुक्त बनाना चाहिए |
आपके अपने क्षेत्र में योग कैंप के लिए या किसी समस्या से संबन्धित सलाह के लिए हमसे संपर्क करें -
दिव्यदर्शन योग सेवा संस्थान (रजि.)
बादलपुर, ग्रेटर नोयडा (उ.प्र.) भारत- 203207
संपर्क- 09717617357, 9015151607
ईमेल - divyadarshanyog@gmail.com
जीवन को बदल देने वाला यह वीडियो एक बार अवश्य देखें
गैस गैस गैस, आखिर क्यों बनती है पेट में गैस ?
गैस बनने से शरीर को क्या हो सकता है नुक्सान ?
शरीर में किन-किन बीमारियों का कारण है गैस ?
पेट में गैस न बने इसके लिए क्या-क्या करना चाहिए ?
गैस गैस गैस, आखिर क्यों बनती है पेट में गैस ?
पेट की गैस से आज समाज का लगभग हर व्यक्ति परेशान है | क्या आप जानते हैं कि हमारे पेट में गैस बनने के क्या - क्या कारण हैं और भविष्य में यह शरीर की किन - किन बीमारियों का कारण हो सकता है ? यह समस्या जितनी ही पुरानी हो ठीक होने में उतना ही अधिक समय लग सकता है | हलांकि हम आपको बताना चाहते हैं कि गैस बनने का सबसे पहला और मुख्य कारण है-
समय पर मल त्याग न करना |
दूसरा कारण दिनचर्या का नियमित और संयमित न होना |
असंयमित अपथ्याहार |
देर रात तक जागना |
सुबह देर तक सोते रहना |
पेय पदार्थों को कम मात्रा में ग्रहण करना |
परिश्रम में कमी |
योग, प्राणायाम एवं सुबह तथा शाम की सैर न करना |
समय पर मल त्याग न करना
समय पर मल का परित्याग न करना गैस बनने का बहुत बड़ा कारण है | हम सभी आदतन या आलसवश सुबह शौच जाने में टालमटोली करते रहते है और धीरे - धीरे यही आदत बन जाती है और धीरे - धीरे आपकी दिनचर्या भंग हो जाती है और आपका मल आपके शरीर में ही कुपित हो जाता है | कई बार पखाने जाने पर भी आपका पेट साफ़ नहीं होता नतीजतन कुछ न कुछ मॉल का शेष भाग आपके शरीर में जमा रह जाता है और वही आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव डालते हुए दूषित वायु का निर्माण करने लगता है जिससे आपका शरीर प्रभावित हो जाता है | परिणाम स्वरूप शरीर में भारीपन , सिर में दर्द , कब्ज की शिकायतै तथा चेहरे की कांति क्षीण होने लगती है |
दिनचर्या का नियमित और संयमित न होना
नियमित और संयमित दिनचर्या स्वस्थ जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है | जैस कि जानते है हमारे शास्त्रों में भी ब्रम्भ मुहूर्त में जागना बहुत ही गुणकारी बताया गया है तथा इसके बिलकुल विपरीत ब्रम्भ मुहूर्त में भी सोते रहने से पुण्यों का नाश होता है तथा वह मानव जीवन के लिए विष के सामान है देखें-
ब्राह्मे मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी।
(ब्राह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्यों का नाश करने वाली है।)
ब्रम्भ मुहूर्त में न उठने के बाद तो पूरे दिन की कार्यशैली ही बदल सी जाती है फिर न तो समय पर सुबह का भोजन हो पाता है और न ही स्नान , यह दोनों ही शरीरिक स्वास्थय और ऊर्जा की दृष्टि से बहुत ही महत्व पूर्ण है | समय पर स्नान न करने शरीर की प्राकृतिक संचालन प्रक्रिया पर बिलकुल प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | हमारे शास्त्रों में सूर्योदय के बाद तथा चाय नाश्ता करके किये गये स्नान को " दानव स्नान " कहा गया है | यह स्वस्थ्य और आयुर्विद के अनुसार विनाशकारी कहा गया है |तथा सूर्योदय से पूर्व किये गए स्नान को ब्रम्भ स्नान , देव स्नान , ऋषि स्नान आदि की संज्ञा दी गई है | ठीक इसी तरह सुबह का भोजन सुबह 8 से 9 के बीच में जरूर कर लेना चाहिए वह भी भर पेट "किसी राज कुमार की भांति " सुबह के इसी भोजन से पुरे दिन की ऊर्जा प्राप्त होती है , इसी प्रकार दोपहर का भोजन भी दोपहर एक से दो बजे के बीच अपनी औसत भूख का आधा भोजन के साथ करना चाहिए (नाश्ते की भांति) तथा शाम का भोजन भी सूर्योदय से पूर्व किसी भिखारी की भाँती अल्प भोजन ग्रहण करना चाहिए | सुबह के भोजन में दही , छाछ या लस्सी तथा सोते समय दूध लेने से पाचन क्रिया अच्छी रहती है | इसके विपरीत आहार एवं असमय आहार का आयुर्वेद में निषेध है |
संयमित दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा समय पर सोना भी है | जो व्यक्ति समय पर नहीं सोते उनकी पाचन क्रिया खराब हो जाती है जो सैकड़ों बीमारियों का कारण होती है | आजकल अधिकतर लोगों के सोने का समय ठीक नहीं वे सही समय का ध्यान नहीं रखते लिहाजा बिभिन्न बीमारियों के आगोश में जकड़ते चले जाते हैं |
असंयमित अपथ्याहार
असंयमित अपथ्याहार अपथ्य अर्थात बुरा आहार जो आपके स्वास्थय के प्रतिकूल आहार हो वही अपथ्य आहार कहलाता है | यह अपथ्य आहार भी अगर अलप या निम्न मात्रा में खाया जाय तो नुक्सानदेह नहीं होता परन्तु उसके प्रति आसक्ति और असंयम उसकी निश्चितता को भांग कर देता है और हम जरुरत से अधिक ग्रहण कर लेते हैं एक तो अपथ्य वह भी असंतुलित , असंयमित ऐसे भोज्य हमें पोषण देने के बजाय हमें शोषित और बीमारी देने वाला साबित होता है | इनमें जैसे कि - पिज्जा , चाउमीन , मोमोच , बर्गर , पाश्ता , आइसक्रीम आदि भिन्न प्रकार के खाद्य जो मैदे एवं अरारोट से बने हो वह हर स्थिति में हर व्यक्ति के लिए नुकसानदेह ही हैं |
देर रात तक जागना
आज कल एक नया फैशन बन रहा है देर रात तक जागते रहने का और देर रात भोजन करना भी इसी फैशन का ही हिस्सा है अच्छे स्वास्थय के लिए यह बहुत ही घातक है | देर रात तक जागते रहने से शरीर की चयापचयी क्रियाओं का जो नियमन है वह सही प्रकार से नहीं हो पाता है और परिणाम स्वरुप हमारा शरीर अस्वाभाविक प्रक्रियाओं से ग्रस्त होकर बीमार हो जाता है |
सुबह देर तक सोते रहना
हमारा जीवन इस प्रकृति का ही एक पर्याय है अर्थात इस प्रकृति के समरूप रहकर ही इस जीवन को बेहतर तरीके से जिया जा सकता है | देर तक सोते रहने से आपकी पूरी दिनचर्या ख़राब हो जाती है जैसे कि - समय पर मल का परित्याग न करना | गैस बनने का यह बहुत बड़ा कारण है | हम सभी आदतन या आलसवश देर से सोकर उठते है तथा सुबह शौच जाने में टालमटोली करते रहते है और धीरे - धीरे यही आदत बन जाती है और इस प्रकार धीरे - धीरे आपकी दिनचर्या भंग हो जाती है और आपका मल आपके शरीर में ही कुपित होने लगता है | कई बार पखाने जाने पर भी आपका पेट साफ़ नहीं होता नतीजतन कुछ न कुछ मॉल का शेष भाग आपके शरीर में जमा रह जाता है और वही आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव डालते हुए दूषित वायु का निर्माण करने लगता है जिससे आपका शरीर प्रभावित हो जाता है | परिणाम स्वरूप शरीर में भारीपन , सिर में दर्द , कब्ज की शिकायतै तथा चेहरे की कांटी क्षीण होने लगती हैं तथा अन्य कई प्रकार की बीमारिया आपको जकड लेती हैं |
पेय पदार्थों को कम मात्रा में ग्रहण करना
हमारा शरीर लगभग सत्तर फीसदी पानी से बना है और हम अक्सर पानी पीने में कोताही बरतते हैं साथ ही यह देखा गया है कि भोजन के साथ पेय पदार्थों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है | आवश्यक है कि भोजन के साथ दही , लस्सी , छाछ या फिर दूध या जूस जरूर लेना चाहिए और यह प्रत्येक ग्रास के साथ थोड़ा - थोड़ा पीते रहना चाहिए यह पाचन क्रिया बेहतर बनाता है जिससे पर्याप्त ऊर्जा और स्वास्थय लाभ प्राप्त होता है |
परिश्रम में कमी
हर व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम दो से तीन घंटे भर पूर श्रम जरूर करना चाहिए | बिना श्रम भी स्वास्थ्य की कल्पना करना वैसे ही व्यर्थ है जैसे बिना भोजन जीवन का कोई अर्थ भी संभव नहीं है | श्रम करने से जहां शरीर की क्रिया शीलता बढ़ती है वहीँ शरीर के विषाक्त तत्व भी पसीने एवं गहरी सांसों के माध्यम से बाहर निकलते है तथा शरीर श्रम करने के बाद तरोताजा एवं हल्का महसूस होता है एवं नींद भी अच्छी आती है |
योग, प्राणायाम एवं सुबह तथा शाम की सैर न करना
प्रत्येक व्यक्ति को हरदिन योग , प्राणायाम एवं सुबह की सैर अवश्य ही करना चाहिए इससे शरीर स्वस्थ एवं मन शांत रहता है तथा ख़ुशी एवं प्रसन्नता का भाव रहता है | इसके लिए किसी योग्य शिक्षक या दिव्यदर्शन योग सेवा संस्थान से संपर्क कर सकते हैं |
गैस बनने से शरीर को क्या हो सकता है नुक्सान ?
गैस बनने से शरीर में लगभग हर बिमारी के होने की अपार संभावना बानी रहती है |
पेट में गैस बनने से बाल झड़ने लगते हैं
पेट में गैस बनने से आँखों की रौशनी पर फर्क पड़ता है
पेट में गैस बनने से सिर दर्द या माइग्रेन भी हो सकता है
पेट में गैस बनने से शरीर में खिंचाव या तनाव बना रहता है
पेट में गैस बनने से कब्ज की शिकायत हो जाती है
पेट में गैस बनने से पाचन क्रिया भंग हो जाती है
पेट में गैस बनने से किसनी खराब हो सकती
पेट में गैस बनने से मूत्र में रुकावट आ सकती है
पेट में गैस बनने से पैर के घुटनों में या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द हो सकता है
पेट में गैस बनने से लकवा पड़ सकता है
पेट में गैस बनने से पूरे शरीर की शक्ति क्षीण होने लगती है
आदि बिभिन्न बीमारियों या समस्याओं के होने का खतरा पेट में गैस बनने से हो सकता है |
पेट में गैस न बने इसके लिए क्या-क्या करना चाहिए ?
उपरोक्त लेख में लिखी सभी बातों पर गंभीरता से विचार करते हुए उनको जीवन में उतारना चाहिए तथा दिव्यदर्शन योग सेवा संस्थान से संपर्क कर योग की विशेष पद्धति को सीख कर एवं दिव्यदर्शन वटी का प्रयोग करके जीवन को व्याधि मुक्त बनाना चाहिए |
आपके अपने क्षेत्र में योग कैंप के लिए या किसी समस्या से संबन्धित सलाह के लिए हमसे संपर्क करें -
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बादलपुर, ग्रेटर नोयडा (उ.प्र.) भारत- 203207
संपर्क- 09717617357, 9015151607
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