अपनाएं यह प्राकृतिक तरीका और "मोटापा गायब"
क्या आप जानते हैं मोटापा क्यों हावी हो जाता है ?
मोटापा कैसे कम किया जा सकता है ?
क्या है बेहतर विकल्प, जिसके दुष्प्रभाव बिलकुल भी न हों ?
मोटापा बढ़ने की शुरुआत कैसे ?
सबसे पहले हम बात करेंगे कि हमारे शरीर में मोटापे के बढ़ने की शुरुआत किस प्रकार होती है जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक्स्ट्रा चर्बी का शरीर में जम जाना ही फैट कहलाता है | अब प्रश्न यह उठता है कि जब हमारे शरीर में ही है तो फिर एक्स्ट्रा कैसे ? आप सभी को ज्ञात होना चाहिए कि हमारे शरीर का एक प्राकृतिक (नैसर्गिक) विज्ञान है , हम जितनी भी कैलोरी ले रहे हैं या (जितना भी भोजन कर रहे है) उसके बराबर ही हमें अपनी शक्ति को खर्च भी करना है या (उतनी ही कैलोरी हमें बर्न) करना है | याद रखें इस प्रक्रिया में अगर उतार या चढ़ाव कि स्थिति आती है तो- ज्यादा श्रम या कैलोरी बर्न करने पर कमजोरी और अधिक करने पर मोटापा होना एकदम स्वाभाविक ही है और आपको बता दें इसका भी सबसे पहला और मुख्य कारण हमारा आलस्य होता है | आलस्य कि वजह से ही हम जानते और चाहते हुए भी वह सब नहीं करते जो हमें करना चाहिए | यहाँ से ही और इस प्रकार ही शुरू होता है हमारा मोटापा बढ़ना |
क्या आप जानते हैं मोटापा क्यों हावी हो जाता है ?
अब बात करेंगे कि हमारे शरीर पर मोटापा किस प्रकार और क्यों हावी हो जाता है | जैसा कि हमने पहले भी आपको बताया है कि अतिरिक्त कैलोरी का उपयोग और आलस्य जब इस प्रक्रिया में असंतुलन लगातार बना रहता है तो एक स्थिति ऐसी भी आती है कि असंतुलन बढ़ता चला जाता है और बर्न न की जाने वाली कैलोरी बसा के रूप में हमारे शरीर में जम जाती है और हम पूर्व से भी और अधिक आलसी होते चले जाते हैं | मै यहाँ पर एक विशेष बात से आपका ध्यानाकर्षण चाहता हूँ | आप देखिये और सोंचिए कि अब तक आपको जितने भी मोटे लोग मिले है वह सभी लगभग किसी न किसी सम्पन्न परिवार से ही जरूर होंगे, मेरा अभिप्राय है कि वे सभी ऐसे परिवारों से होंगे जहां खाने की कोई कमी नहीं होगी और दूसरी बात वे सभी भरपूर मात्रा में खाते भी होंगे, आप एक बात और नोटिस करेंगे कि वह सभी लोग खाने में सदैव अत्यधिक रुचि जरूर रखते होंगे याद रखें ऐसे भोजन पसंद लोग ही अधिकांशतः मोटे होंगे | ऐसी मेरी समझ है | यह बात भी जरूर समझ लीजिये ऐसे मोटे लोग दूसरे सामान्य लोगों कि तुलना में थोड़े आलसी जरूर होंगे |
मै जानता हूँ कि अब आपको एक बात जरूर समझ आ गई होगी कि व्यक्ति खाने पर कंट्रोल करके या (बैलेंस डाइट लेकर) अपने मोटापे को दूर कर सकता है परंतु मै जानता हूँ कि इस विषय में अधिकतर लोग भ्रमित ही रह जाते है और वे सही विषय एवं तथ्य को नहीं समझ पाते | इसलिए उनपर मोटापा हवी होता चला जाता है और आपको बता दें जब आप उपरोक्त स्थिति से गुजर रहे होते हैं उस दौरान ही आपका शरीर भी एक संघर्ष प्रक्रिया से गुजर रहा होता है वह बैलेंस होना चाहता है और आप नासमझीवश बैलेंस होने नहीं देते और आपके शरीर मे वसा लगातार बढ़ती चली जाती है अंततः आपकी पाचन क्रिया भी धीरे - धीरे मंद पड़ने लगती है और आपके विजातीय तत्व आपके शरीर में ही जमा होने लगते हैं और उसके बाद यह धीरे - धीरे आपके खून में मिल जाते है | शरीर बीमारियों का घर बन जाता है शुगर , थायरायड , ब्लड प्रेशर , गैस , कब्ज , कैंसर , अल्सर , ज्वाइंट पेन , आँखों में धुंधलापन आदि अनेकों रोग हो जाते हैं |
मोटापा कैसे कम किया जा सकता है ?
उपरोक्त लेख को पढ़कर आपको मोटापा होने के मुख्य कारणों का पता अवश्य चल गया होगा तो फिर आपको मोटापा कम करने या सामान्य (बैलेंस बॉडी) के लिए क्या करना चाहिए यह भी जानना आवश्यक हो जाता है | आइये जानते है क्या करना चाहिए-
सामान्य दिनचर्या -
सामान्य दिनचर्या से आसय प्रकृति के अनुरूप आचरण जैसे कि- समय से सोना , समय से जागना , समय पर और आवश्यकता के अनुसार ही भोजन ग्रहण करना तथा भोजन को खूब चबा-चबा कर निगलना , आवश्यकता के अनुसार श्रम और आराम भी तथा इन सबसे भी महत्वपूर्ण पर्याप्त मात्रा मे पानी पीना , समय से बिना वेग को रोके ही मूत्र त्याग के लिए जाना एवं समयानुसार ही एक या अधिकतम दो बार मल त्याग बिना वेग रोके ही करना | सर्व साधारण के लिए यह नियम ही सामान्य दिनचर्या कहलाती है तथा इसके अनुसार ही प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दिनचर्या का अनुपालन करना चाहिये |
इसी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व स्नान , योग एवं ध्यान भी अति आवश्यक प्रक्रिया है | जिस तरह से और जितना आवश्यक ब्रेकफास्ट , लंच और डिनर है ठीक उसी प्रकार और उतना ही आवश्यक सूर्योदय से पूर्व स्नान , योग एवं ध्यान भी है |
दिनचर्या में बदलाव के भयंकर परिणाम -
याद रखें ! यदि आप अपनी दिनचर्या का नियमित पालन नहीं करेंगे तो फिर आपको अस्वस्थ या बीमार होने से कोई भी नहीं रोक सकता है | आपके समय से न सोने से समय से जागना एकदम असंभव है और यदि संभव भी हुआ तो पर्याप्त आराम न हो पाने से पाचन क्रिया खराब होने के साथ - साथ ही बिभिन्न बीमारियाँ स्वयमेव ही जकड़ लेंगी | ठीक इसी तरह समय से सोकर न उठने के कारण विजातीय तत्वों के उत्सर्जन की प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और अधिकांश विजातीय पदार्थ शरीर मे ही जमा होने लगते हैं तथा अपर्याप्त मात्रा में एवं असमय भोजन करने पर भी शरीर की पाचन क्रिया प्रभावित होती है एवं शरीर में अस्वस्थ गैसों का निर्माण होने लगता है | इसी प्रकार भोजन को खूब चबा - चबा कर नहीं करने पर भी शरीर की पाचन प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और दांतों का काम पेट की आंत को करना पड़ता है इससे उसकी कार्य क्षमता कम हो जाती है जिससे अपच और अफारा जैसी समस्या का शिकार होना पड़ता है |
मूत्र और मल के वेग को रोने से भी हमारे शरीर पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | मूत्र वेग रोकने से किडनी से संबन्धित समस्याएँ, मूत्रकृक्षता की शिकायत , सेक्सुवल समस्या , प्रोस्टेट की समस्या तथा सिर दर्द आँखों की समस्या आदि | ठीक इसी प्रकार मल के वेग को रोकने से भी मलमार्ग की बिभिन्न समस्याएँ जन्म लेती हैं प्रथम और मुख्य है बवासीर , पिस्टुला , कब्ज , गैस तथा सारे शरीर मे खिचाव (तनाव) एवं सिर दर्द तथा बुखार भी संभव है इत्यादि समस्त समस्याएँ मोटापे के बड़े कारण हो सकते हैं |
मोटापे का मुख्य कारण जो अधिकतर सभी मोटे लोगों में पाया जाता है वह यह है की उन सभी लोगो को गैस एवं पाचन क्रिया से संबन्धित समस्या जरूर होगी |
इसी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व स्नान , योग एवं ध्यान भी अति आवश्यक प्रक्रिया है | जिस तरह से और जितना आवश्यक ब्रेकफास्ट , लंच और डिनर है ठीक उसी प्रकार और उतना ही आवश्यक सूर्योदय से पूर्व स्नान , योग एवं ध्यान भी है |
दिनचर्या में बदलाव के भयंकर परिणाम -
याद रखें ! यदि आप अपनी दिनचर्या का नियमित पालन नहीं करेंगे तो फिर आपको अस्वस्थ या बीमार होने से कोई भी नहीं रोक सकता है | आपके समय से न सोने से समय से जागना एकदम असंभव है और यदि संभव भी हुआ तो पर्याप्त आराम न हो पाने से पाचन क्रिया खराब होने के साथ - साथ ही बिभिन्न बीमारियाँ स्वयमेव ही जकड़ लेंगी | ठीक इसी तरह समय से सोकर न उठने के कारण विजातीय तत्वों के उत्सर्जन की प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और अधिकांश विजातीय पदार्थ शरीर मे ही जमा होने लगते हैं तथा अपर्याप्त मात्रा में एवं असमय भोजन करने पर भी शरीर की पाचन क्रिया प्रभावित होती है एवं शरीर में अस्वस्थ गैसों का निर्माण होने लगता है | इसी प्रकार भोजन को खूब चबा - चबा कर नहीं करने पर भी शरीर की पाचन प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और दांतों का काम पेट की आंत को करना पड़ता है इससे उसकी कार्य क्षमता कम हो जाती है जिससे अपच और अफारा जैसी समस्या का शिकार होना पड़ता है |
मूत्र और मल के वेग को रोने से भी हमारे शरीर पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | मूत्र वेग रोकने से किडनी से संबन्धित समस्याएँ, मूत्रकृक्षता की शिकायत , सेक्सुवल समस्या , प्रोस्टेट की समस्या तथा सिर दर्द आँखों की समस्या आदि | ठीक इसी प्रकार मल के वेग को रोकने से भी मलमार्ग की बिभिन्न समस्याएँ जन्म लेती हैं प्रथम और मुख्य है बवासीर , पिस्टुला , कब्ज , गैस तथा सारे शरीर मे खिचाव (तनाव) एवं सिर दर्द तथा बुखार भी संभव है इत्यादि समस्त समस्याएँ मोटापे के बड़े कारण हो सकते हैं |
मोटापे का मुख्य कारण जो अधिकतर सभी मोटे लोगों में पाया जाता है वह यह है की उन सभी लोगो को गैस एवं पाचन क्रिया से संबन्धित समस्या जरूर होगी |
क्या है बेहतर विकल्प, जिसके दुष्प्रभाव बिलकुल भी न हों ?
- दिव्यदर्शन वटी का प्रयोग (परामर्श के अनुसार) |
- योग (दिव्यदर्शन योग) प्रतिदिन जरूर करें |
- प्रतिदिन एक नग फल (250 ग्राम) खाली पेट (हर दिन बदल-बदल कर) |
- आवश्यक एवं पर्याप्त (आधा पेट) भोजन एक निश्चित समय पर |
- लंच में दही , छाछ या मट्ठा एक कटोरी जरूर लें |
- डिनर में एक कटोरी मूंग दाल या एक गिलास दूध या एक कटोरी दलिया या एक कटोरी वेजीटेबल सूप , डिनर प्रतिदिन शाम 7 बजे से पहले जरूर करें |
- प्रतिदिन शाम को आधा घंटे जरूर टहलें |
ऐसे लोगों के झांसे में न आयें जो कहते है सिर्फ गोली या पाउडर खिला कर आपको पतला कर देंगे |
संपर्क करें - +91-9717617357, divyadarshanyog@gmail.com
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