सामान्य मानव जीवन के लिए योग क्या है ?
सामान्य मानव जीवन के लिए
योग क्या है ?
साधारण जीवन जीने के लिए व्यक्ति के
जीवन में योग कितना महत्वपूर्ण है यह जानना तब और भी आवश्यक हो जाता है जब आज भारत
पूरे विश्व में योग के नेत्रत्व के लिए खडा है विश्व योग दिवस उसी कि बानगी मात्र
है।भारत की योग पद्धतिया मानव के समग्र विकास और व्यवस्था के साथ-साथ आध्यात्म का चरम
उत्कर्ष प्रदान करने वाली है | समझने के लिए अगर हम इसे अलग-अलग भागों में विभक्त करें तो कह सकते हैं-
- योग (योग योगासन)
- ध्यान (मन की एकाग्रता या या स्थिरता)
- आध्यात्म (संपूर्ण ब्रह्मांड को संचालित करने सत्ता की स्थापना)
योग ध्यान और आध्यात्म की आवश्यकता हर मनुष्य के सामान्य जीवन के लिए बहुत उपयोगी है या यह कह सकते हैं पप्रकृति के व्यवहार को समझना और उसको स्वीकार करना तथा प्रकृति के अनुरूप स्वयं का व्यवहार करना भी एक प्रकार की योगिक स्थिति ही है यहाँ आप सभी पाठकों को यह भी अवगत करा देना चाहता हूं कि योग को बहुत विस्तार रूप में ना लें क्योंकि अधिक विस्तृतता में कुछ प्रश्न सुलझने के बजाए उलझ जाया करते हैं | सामान्यतया हमारे जीवन में शरीर, मन (चित्त) और व्यवहार में एकरूपता की स्थापना ही योग है | जब आपका मन कुछ और सोचता या समझता है, और शरीर की आवश्यकता कुछ और है, तथा मांग कुछ और की करता है तथा व्यवहार रूप में हम चाहते कुछ और हैं, और कर बैठते हैं कुछ और, इसी संतुलन और असंतुलन की स्थिति को योग या वियोग की स्थिति के रूप में समझा जा सकता है |
यह बात समझ लीजिए योग करने वाला प्रत्येक व्यक्ति शरीर से स्वस्थ, मन से प्रसन्न और विचार से पवित्र ही होगा अगर यह तीनों गुण आप में नहीं हैं तो निश्चित ही आपको योग को समझने और करने की आवश्यकता है | शरीर मन (चित्त) और विचार में समत्व या एकरूपता स्थापित हो जाने का नाम ही योग है और यही आज के हर सामान्य जन की आवश्यकता है हम सोचते कुछ और हैं और करते कुछ और इसी प्रकार जो करना चाहते हैं होता भी उसके विपरीत ही है, शरीर का तो कहना ही क्या दो चार कदम भी चल नहीं सकते ज्यादा बोलने के लिए डॉक्टर की मनाही, खाने में शुगर फ्री की तलाश, पखाने के लिए वेस्टर्न टॉयलेट, बी पी कभी लो कभी हाई, कोलेस्ट्रॉल में अनियमितता, सो कर उठने के बाद शरीर को सामान्य अवस्था में लाने के लिए आधा घंटा चाहिए, यह है आज का जीवन, और यह सब प्रकृति के विरुद्ध होने की वजह से है ऐसा जीवन, इन व्याधियों से मुक्ति पाने का विकल्प है योग, शरीर, मन (चित्त), विचार तथा व्यवहार में एकरूपता या समत्व पाने का विकल्प है योग |
प्रकृति के अनुरूप आचरण का पर्याय जैसे रात में समय से सोना, सुबह समय से ब्रह्म मुहूर्त में जागना, समय से भोजन एवं समय से अनुसार उचित मात्रा में पानी, जठराग्नि के अनुरूप भोजन तथा अपनी क्षमता के अनुसार ही श्रम, स्वस्थ एवं योग पूर्ण जीवन के लिए अनिवार्य है इसी प्रकार विषय को पढ़ाते हुए अगर बात करें तो उपरोक्त सामान्य नियम से संबंधित जीने वाले व्यक्ति को योग (योगासन)- विनियमित 40 से 45 मिनट करना चाहिए जिसमें सर्वप्रमुख सूर्य नमस्कार, वृक्षासन, ताड़ासन, नटराजासन, सेतुबंधासन, पाद चालन आसन, द्विचक्रिकासन, शवासन आदि करते रहना चाहिए |
ध्यान (मन की एकाग्रता या स्थिरता)- भागदौड़ भरे इस जीवन में ध्यान आपकी अनेकों समस्याओं के समाधान का अद्भुत विकल्प है जहां आज समाज में लाखों की संख्या में डिप्रेशन के मरीज बढ़ते जा रहे हैं वहीं आप 10 से 15 मिनट के ध्यान के अभ्यास से मानसिक शांति पा सकते हैं डिप्रेशन से छुटकारा पाकर जीवन को सुखी और आनंदपूर्ण बना सकते हैं | अब यह समझ लीजिए आपको ध्यान कैसे करना चाहिए “कमर और गर्दन को एकदम सीधा रखते हुए अर्ध पद्मासन, पद्मासन या फिर सुखासन में आंखें बंद करके निश्चिंत अवस्था में बैठ जाएं और अपनी सांसों की गति एकदम सामान्य रखते हुए पूरी सांस लें और छोड़ें तथा अपना पूरा ध्यान अपनी दोनों आंखों के बीच में नाक के ऊपर माथे पर आज्ञा चक्र पर केंद्रित करें तथा जो आपको सबसे प्रिय हो माता-पिता या ईश्वर का कोई रुप उसकी छवि बंद आंखों से ही भावनात्मक रूप से बनाने की कोशिश करें | अब हम बात करेंगे-
आध्यात्म की- आचरण में पवित्रता के साथ मूर्त या अमूर्त रूप में संपूर्ण ब्रह्मांड को संचालित करने वाली उस सत्ता के प्रति समर्पित भाव से पूजा अर्चना एवं आराधना करना चाहिए जिस ईश्वर का ही अंश हमारे शरीर में हमारी आत्मा के रूप में स्थित है वह सर्वव्यापी और सर्वश्रेष्ठ है वही इस ब्रह्मांड का मालिक है | ईश्वर के प्रति श्रद्धा, जीवों के प्रति दया तथा मनुष्य के प्रति प्रेम एवं प्रकृति के प्रति लगाव आध्यात्म के शिखर का प्रथम पड़ाव है | यहीं ठहरो और जीवन का आनंद लो | शेष अगले लेख में –
संस्थापक एवं संचालक-
दिव्यदर्शन योग सेवा संस्थान (रजि.)
योगिराज करनदेव
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