मर्कट आसन के लाभ एवं विधियाँ
मर्कट का मतलब बंदर है और यह आसन एक
बंदर जैसा दिखता है
प्रथम विधि :
पैरों को सीधा करके अपनी पीठ पर सीधे लेट जाओ।
घुटने ऊपर करके पैरों को मोड़ लें | दोनों हाथ कंधों के साथ सीधी रेखा में फैला कर फर्श पर रखें।
सांस अंदर लें | सिर को दांयी ओर और अपने दोनों घुटनों को बांयी ओर मोड़िये ध्यान रहे आपके दोनों पंजे आपस मेन जुड़े हुए होने चाहिए | फर्श पर घुटनों को छूने की कोशिश करें। जहाँ तक संभव हो दांयी ओर देखो।
४ से ५ सेकंड के लिए इस स्थिति में रहते हैं।
– सामान्य
स्थिति में आने के लिए –
अब साँस छोड़ते वापस शुरूवाली की स्थिति में आ जाएं |
अब दूसरे पक्ष के लिए यह आसन करें यानि इसे विपरीत दिशा में करें |
८ से १० बार के लिए इसे दोहराएँ।
अब साँस छोड़ते वापस शुरूवाली की स्थिति में आ जाएं |
अब दूसरे पक्ष के लिए यह आसन करें यानि इसे विपरीत दिशा में करें |
८ से १० बार के लिए इसे दोहराएँ।
दूसरी विधि :
उपरोक्त के अनुसार ही-
पैरों को
सीधा करके अपनी पीठ पर सीधे लेट जाओ।
घुटने ऊपर करके पैरों को मोड़ लें तथा ध्यान रहे आपके दोनों पंजों के बीच में एक से डेढ़ फिट का गैप होना चाहिये | दोनों हाथ कंधों के साथ सीधी रेखा में फैला कर फर्श पर रखें। सांस अंदर लें सिर को दांयी ओर और अपने दोनों घुटनों को बांयी ओर मोड़िये तथा दायें बायें पैर के पंजे से टच कराने की कोशिश करें । जहाँ तक संभव हो दांयी ओर देखो।
४ से ५ सेकंड के लिए इस स्थिति में रहते हैं।
घुटने ऊपर करके पैरों को मोड़ लें तथा ध्यान रहे आपके दोनों पंजों के बीच में एक से डेढ़ फिट का गैप होना चाहिये | दोनों हाथ कंधों के साथ सीधी रेखा में फैला कर फर्श पर रखें। सांस अंदर लें सिर को दांयी ओर और अपने दोनों घुटनों को बांयी ओर मोड़िये तथा दायें बायें पैर के पंजे से टच कराने की कोशिश करें । जहाँ तक संभव हो दांयी ओर देखो।
४ से ५ सेकंड के लिए इस स्थिति में रहते हैं।
– सामान्य
स्थिति में आने के लिए –
अब साँस छोड़ते वापस शुरूवाली की स्थिति में आ जाएं |
अब दूसरे पक्ष के लिए यह आसन करें यानि इसे विपरीत दिशा में करें |
८ से १० बार के लिए इसे दोहराएँ।
अब साँस छोड़ते वापस शुरूवाली की स्थिति में आ जाएं |
अब दूसरे पक्ष के लिए यह आसन करें यानि इसे विपरीत दिशा में करें |
८ से १० बार के लिए इसे दोहराएँ।
मर्कट आसान के लाभ :
पीठ में दर्द और रीढ़ की हड्डी में विकृति के लिए बहुत मददगार है |
यह सर्विकल स्पॉन्डिलाइटिस और स्लिप डिस्क में बहुत उपयोगी है।
यह पेट में दर्द, गैस्ट्रिक समस्याओं, कब्ज और अपच के इलाज के लिए मदद करता है।
रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और स्नायु संबंधी विकार ठीक हो जाते है।
यह गुर्दे, अग्न्याशय, प्लीहा और यकृत के रूप में आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है।
मधुमेह और अस्थमा के मरीजों को लाभान्वित किया जा सकता है।
यह कूल्हे और जोड़ों के दर्द के लिए फायदेमंद है।
यह थकान, उनींदापन और तनाव से राहत दिलाता है। मन और शरीर को आराम करने में बहुत प्रभावी।
यह उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए बोहोत फ़ायदेमंद है क्योंकि इससे श्वास और हृदय गति धीमी/शांत हो जाती है।
पीठ में दर्द और रीढ़ की हड्डी में विकृति के लिए बहुत मददगार है |
यह सर्विकल स्पॉन्डिलाइटिस और स्लिप डिस्क में बहुत उपयोगी है।
यह पेट में दर्द, गैस्ट्रिक समस्याओं, कब्ज और अपच के इलाज के लिए मदद करता है।
रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और स्नायु संबंधी विकार ठीक हो जाते है।
यह गुर्दे, अग्न्याशय, प्लीहा और यकृत के रूप में आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है।
मधुमेह और अस्थमा के मरीजों को लाभान्वित किया जा सकता है।
यह कूल्हे और जोड़ों के दर्द के लिए फायदेमंद है।
यह थकान, उनींदापन और तनाव से राहत दिलाता है। मन और शरीर को आराम करने में बहुत प्रभावी।
यह उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए बोहोत फ़ायदेमंद है क्योंकि इससे श्वास और हृदय गति धीमी/शांत हो जाती है।
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