पवन मुक्तासन कैसे करें और जाने उसके चमत्कारिक लाभ

पवन मुक्तासन कैसे करें , और जाने उसके चमत्कारिक लाभ 


जैसा की नाम से ही स्पष्ट है पवन मुक्त अर्थात वायु को,पवन को मुक्त करना,निकालना। यह आसन जो वायु पेट में पहुंच जाती है उस वायु को निकालता है तथा अन्य भी कई फायदे शरीर को करता है। यह आसन बड़ा ही सरल है। इसमें कुछ परिवर्तन करके  यह आसन कमर दर्द में भी फायदा करता है। 

विधि :

पीठ के बल लेटकर पहले श्वांस को सामान्य करते है। फिर दाए  पैर को सीधा रखते हुए बाए पैर का घुटना मोड़कर रेचन करके पहले छाती से स्पर्श करते है फिर सिर उठकर चेहरे को घुटने से लगाते है। यथासंभव रुकते है फिर पूरक करते हुए (श्वांस लेते हुए)वापस आते है। अगर कमर में दर्द हो तो सिर को जमीन पर ही रखकर आसन का अभ्यास करते है। इसी प्रकार दूसरे पैर से भी करते है ,बाये पैर को जमीन पर सीधा रखकर रेचन करके (श्वांस निकालकर )दाए पैर को घुटने से मोड़कर छाती से लगाते है और सिर को उठकर चेहरे को घुटने से स्पर्श करते है।यथासंभव रुकते है और कुम्भक करते है फिर पूरक करते हुए वापस आते है। 
अब इसके बाद ऐसे ही दोनों पैरो को घुटनो से मोड़कर करते है। 

लाभ : 

स्पष्ट है यह आसन वायु दोष का निवारण करता है। परन्तु सम्पूर्ण शरीर पर यह किस तरह कार्य करता है निम्न प्रकार है -

शरीर में वायु का स्थान नाभि से निचे की तरफ पैरो के अंगूठों तक कहा है पित्त का स्थान नाभि से गले तक कहा है और गले से सिर तक कफ का स्थान है। यह क्रम स्वभाव से चलता है। जब तीनो वात,पित्त,कफ अपने क्षेत्र में होते है तो शरीर की सम्पूर्ण क्रियाओ को पूर्ण रूप से करते है। 

हमारी अनियमित दिनचर्या व अनियमित खान पान की वजह से स्वभाव से चलने वाले वात,पित्त कफ अपना स्थान छोड़कर दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश कर जाते है। जिससे शरीर में अनेक विकार पैदा हो जाते है। खासकर वायु अपना स्वाभाविक मार्ग छोड़कर जो की अपान वायु के रूप में (जिसे दुष्ट वायु भी कहते है)ऊपर की तरफ अर्थात पित्त व कफ के क्षेत्र की तरफ चलने लगती है। और उनके क्षेत्र का अतिक्रमण करने लगती है। 
ऐसा होने से सम्पूर्ण शरीर अस्त व्यस्त हो जाता है। अनेक बीमारियाँ शरीर को घेर लेती है। जब यह वायु जोड़ो में प्रवेश करती है तो गठिया ,कमर की तरफ प्रवेश करती है तो कमर दर्द गर्दन की तरफ जाने पर गर्दन का दर्द। कंधे में जाने पर कंधे का दर्द ,पेट में भारीपन,ह्रदय क्षेत्र में जाने पर एसिडिटी ,गले में जाने पर खांसी ,गले की खराश या सिर दर्द आदि अनेक विकार हो जाते है। 

अपान वायु सर्वप्रथम पेट में प्रवेश करती है अतः जब हम पवनमुक्तासन करते है तोयह वायु वही से गुदामार्ग से बाहर निकल जाती है जिससे शरीर के अन्य हिस्सो में कोई विकार पैदा नहीं होता। 

इस प्रकार पवनमुक्तासन अनेक ऐसी बीमारियो को शरीर में होने से पहले ही दूर कर देता है जो शरीर को हो सकती थी। इसके साथ ही यह आसन कमर दर्द को ठीक करता है थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करता है। गर्दन की मासपेशियों को मजबूत करता है। कंधे मजबूत होते है। जंघाएँ पुष्ट होती है। पिंडलियों का दर्द दूर होता है। नितम्बो की हड्डियाँ व मांसपेशियाँ लचीली होती है। पेट का भारीपन,कब्ज,अपच दूर हो जाती है।

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