बात छोटी है ! मगर ज्ञान की, जानोगे तो कहोगे वाह-
बात छोटी है ! मगर ज्ञान की, जानोगे तो कहोगे वाह-
क्या आप जानते हैं पानी कितना और कैसे पीना चाहिए :
क्या आप जानते हैं एक सामान्य व्यक्ति को पानी कितना पीना चाहिए यदि नहीं जानते तो समझ लीजिये- एक सामान्य व्यक्ति को उसके कुल वजन का 10 से भाग देने के बाद जितना आए उससे 2 घटा दीजिये जैसे किसी व्यक्ति का वजन 60 किलोग्राम है 10 से अगर डिवाइड करते हैं तो ६ आता है और उसमे से 2 घटना है उसके बाद शेष बचता है चार तो किसी भी सामान्य व्यक्ति को जिसका वजन 60 किलोग्राम है उसको 24 घंटे के अंदर मात्र 4 लीटर पानी की आवश्यकता होती है | मुख्य रूप से सुबह से शुरू करते हैं जिसमें तीन से चार गिलास पानी एक साथ भी पी सकते हैं यदि नहीं तो हर आधे - आधे घंटे के अंतराल में भी तीन से चार गिलास पानी एक साथ पियें | यह आपके पुरे शरीर को ऊर्जा देने के साथ - साथ शरीर में जमा विजातीय तत्वों को पेशाब और मल के माधयम से बाहर निकालने में सहयोग करता है और यदि यही पानी सुबह - सुबह ही थोड़ा सा गुनगुना पियें तो और भी हितकर रहेगा | सुबह के बाद प्रति 1 घंटे के अंतराल में लगभग एक गिलास या २५० मिली ली. पानी घूंट-घूंट करके पूरे दिन पीना चाहिए जब तक कि एक दिन के पानी की मात्रा पूरी न हो जाय | इस तरह से ध्यान रखें कि 24 घंटे में लगभग 4 लीटर पानी एक 60 किलोग्राम वाले व्यक्ति को जरूर पीना चाहिए | पानी कम पीने से कब्ज की शिकायत होती है मानसिक परेशानियां गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं भी पानी कम पीने की वजह से होती है इसलिए ध्यान रखें पानी की पर्याप्त मात्रा पीनी आवश्यक है | इस औसत मात्रा से अधिक पानी पीना कई परिस्थितियों में नुक्सान दायक हो सकता है |
बुजुर्गों ने कहां है जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन :
भोजन के बारे में हमारे बुजुर्गों ने कहां है जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन इस हमारे शरीर को जीवित रहने के लिए तीन चीजों की मुख्य रूप से आवश्यकता होती है नंबर एक- ऑक्सीजन नंबर दो- पानी नंबर तीन- भोजन, शरीर मन और विचार हवा पानी और भोजन तीनों जिस तरह से और जितने स्वस्थ रूप में हम ग्रहण करते हैं उसी तरह से उसी स्वस्थ शरीर के रूप में हम अपने आपको पाते हैं | अक्सर देखा गया है कि हम बहुत मेहनत करते हैं बहुत प्रयत्न करते हैं लेकिन किस लिए उत्तर है सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने के लिए परंतु यह नहीं जानते कि यदि हमारा शरीर ही स्वस्थ नहीं रहेगा तो पैसा हमारे लिए किसी काम का नहीं है, इसलिए आवश्यक है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अपने भोजन को बहुत ही इत्मीनान से और खूब चबा-चबा कर लगभग आधा घंटे में खाएं ताकि भोजन अच्छी तरह से आपके शरीर में पच जाय | "ध्यान रहे सिर्फ भोजन को अच्छी तरह से चबा कर खाने मात्र से पाचन क्रिया को स्वस्थ किया जा सकता है " भोजन की मात्रा आपकी पाचन क्रिया के अनुसार आधा पेट ही होना चाहिए, पेट का आधा हिस्सा हवा और पानी के लिए खाली छोड़ देना चाहिए |
भोजन में नमक का प्रयोग कम से कम करें तथा सानुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग अधिक लाभ दायक है | मैदा और चीनी का प्रयोग भी कम से कम या नहीं के बराबर ही प्रयोग करना चाहिए | रिफाइंड आयल को धीमा जहर कहा जाता है इसके बजाय कच्ची घानी ( साधारण कोल्हू से निकाला गया तेल ) के सभी तेल जो बिना किसी केमिकल प्रोसेस से तैयार किया गया हो, यह तेल सरसों , मूँगफली, तिल या नारियल का कोई भी या सभी प्रयोग करना चाहिए | सीधी बात कहें तो कोई भी किसी भी प्रक्रिया से तैयार पैक खाद्य पढ़ार्थ स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है |
आवश्यकता है प्रकृति के और नजदीक जाने की शुद्ध प्राकृतिक आहार गेंहू, चना, चावल, दाल, शाक, सब्जियाँ, शुद्ध दूध, फल आदि | इनसे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता |
आज की आधुनिकता की चमक लिए पिज्जा, बर्गर, चाउमीन, पाश्ता आदि मैदा, केमिकल और रिफाइन्ड से बने उत्पाद शरीर के स्वास्थ्य के लिए जहर है हो सके तो इंका प्रयोग कभी न करें |
आक्सीजन ( स्वस्थ हवा ) प्राणायाम मे हैं प्राण :
जीवन का अर्थ है प्राण और प्राण का अर्थ है श्वास स्वास का मतलब ( हवा ) ऑक्सीजन हमारे शरीर में जब आक्सीजन की संचालन शक्ति खत्म हो जाती है तो हम निष्प्राण अर्थात निर्जीव हो जाते हैं हमने पहले भी ऊपर लेख में बताया है कि सबसे महत्वपूर्ण और आवश्यक तत्व किसी भी जीवन के लिए ऑक्सीजन ही है ऑक्सीजन के बिना एक पल भी जीवन असंभव है और अगर हम कुछ क्षण जी भी सकते हैं तो उस ऑक्सीजन को अपने अंदर इकट्ठा करके ( संचित करके ) जितना अधिक ऑक्सीजन का संचय आपके शरीर के अंदर होगा आप बिना ऑक्सीजन के उतना ही अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं स्वस्थ शरीर के लिए शरीर के अंदर पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का होना नितांत आवश्यक है इसलिए आवश्यकता है आपको प्राणायाम की दिव्य दर्शन योग की, दिव्य दर्शन योग आपके शरीर के अंदर ऑक्सीजन की अपर्याप्त को पर्याप्तता में परिवर्तित करता है |भोजन पानी के साथ-साथ किसी भी जीवन के लिए ऑक्सीजन अति आवश्यक है इसलिए आवश्यक है की प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी और भोजन के साथ ऑक्सीजन की पर्याप्तता के लिए प्राणायाम जरूर किया जाए | "प्राणायाम से तात्पर्य सांसो पर संयम" पूरी गहरी सांस का आना और जाना ही प्राणायाम कहलाता है अक्सर देखने में आता है कि लोग लंबी सांस नहीं ले पाते हैं बहुत छोटी-छोटी सांस लेते हैं सांस जितनी छोटी फेफड़े उतना ही कमजोर और सांस जितनी बड़ी फेफड़े उतने ही मजबूत होते हैं |सांस का लंबा होना हमारे स्वास्थ्य का पहला प्रमाण है आवश्यकता है कि हम स्वस्थ रहें और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है की हम दिन में एक से दो बार 20 - 25 लंबी गहरी साँसे ले और लंबे समय तक अंदर ही रोक कर रखें और धीरे - धीरे साँस छोड़ दे और सांस छोड़ कर भी लंबे समय तक बाहर ही रोक कर रखना चाहिए | ध्यान रखें यह प्रयास किसी योग्य शिक्षक की देखरेख में हो तो और बेहतर होगा |
उपरोक्त लेख के यह तीन बिन्दु :
पानी, भोजन, और हवा (ऑक्सीज़न ) ही हमारे स्वास्थ्य, शरीर और प्राण है | इसलिए स्वच्छ पानी, स्वस्थ भोजन और पर्याप्त आक्सीजन के महत्व को समझो, करो और आनंदित हो जाओ |
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